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Amit Bhatore

Abstract

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Amit Bhatore

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वक्त

वक्त

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वक्त,

हमेशा एक सा नहीं रहता

कभी हवाओं सा उड़ता रहता

पतंगों और पंछियों को साथ लेकर

कभी आंधियों में बिखेर देता संसार

कभी नदियों सा बहता रहता

खेतों को सींचता, प्यास बुझाता

कभी बाढ़ में बहा देता सब कुछ

प्रकृति की तरह जिंदगी भी है

अनिश्चितताओं को साथ लिए...


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