गाँवों की वो सरलता कहां से मैं लाऊँ गाँवों की वो सरलता कहां से मैं लाऊँ
बनी है सबकी अपनी अपनी सीमाएं, धारणाएँ बनीं, बनी है सबकी अपनी अपनी सीमाएं, धारणाएँ बनीं,
प्रकृति के नजारे हमारी ही शान, तभी तो लगता मेरा भारत महान प्रकृति के नजारे हमारी ही शान, तभी तो लगता मेरा भारत महान
पतंगों और पंछियों को साथ लेकर कभी आंधियों में बिखेर देता संसार पतंगों और पंछियों को साथ लेकर कभी आंधियों में बिखेर देता संसार
सबकी खुशियां इकट्ठा करने के लिये इक बांध भी बनते देखा है। सबकी खुशियां इकट्ठा करने के लिये इक बांध भी बनते देखा है।
धरती ही एक वो गोला है जहां बहता है पानी हवाओं में भी धरती ही एक वो गोला है जहां बहता है पानी हवाओं में भी