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Chandresh Kumar Chhatlani

Others

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Chandresh Kumar Chhatlani

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पानी की पहुँच

पानी की पहुँच

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रोशनी नीली जा सकती है

ब्रह्मांड के किसी भी कोने में।

कर सकती है रोशन किसी भी ग्रह-उपग्रह को।

कहाँ जा सकता है लेकिन पानी?


धरती ही एक वो गोला है

जहां बहता है पानी हवाओं में भी

कभी बेलगाम घोड़े सरीखा कभी उड़ते कबूतर जैसा।

नदियों को हम पूज लेते हैं।

नदियों के पास बनाते हैं मंदिर।


ईश्वर ने भी हमें बनाया है एक नदी

जिसमें सबसे ज़्यादा है पानी


हाँ! हैं थोड़े कंकड़-पत्थर भी मिट्टी से सने।

चाहे नालियों में बहे यह गंदा नहीं होता,

जल रहता है पवित्र सदा।


जिन ग्रहों पर भी जहाँ जल है ही नहीं,

वहां पानी भी जाता है पहुँच,

किसी इंसानी जिस्म में बहता हुआ।



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