प्रकृति वरदान भारत महान
प्रकृति वरदान भारत महान
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शब्द से ज्यादा भाव है प्रधान,
नदियों का हो जहां माता सा मान।
पत्थरों की श्रद्धा बनाए उन्हें भगवान,
वृक्ष ,चांद, सूरज पूजे जाएं प्रेम ध्यान।
चांद से बातें संदेशे भी भिजाते,
उम्मीद वह उनके प्रिय घर जाते।
बसंती बयार यहां लाती है संदेशा,
प्रेमी के लौटने का होता है अंदेशा।
सावन की बदरी फुहारें लाती,
बिरहन को जो बड़ा तड़पाती।
चांदनी रात में नौका विहार है,
पल-पल प्रकृति से बंधा व्यवहार है।
प्रकृति के नजारे हमारी ही शान,
तभी तो लगता मेरा भारत महान।
