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Abhishek Gaurkhede

Abstract Children Stories Tragedy

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Abhishek Gaurkhede

Abstract Children Stories Tragedy

नन्हे कदम

नन्हे कदम

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छोटे छोटे कदमो से लम्बा सफर कर रहे हैँ

न पैरो मे चपल न सर पर कोई छाया हैं

फिर भी चल रहे हैं

रो रहे हैं कभी तो कभी हँस रहे हैं


ये मजदूर के बच्चे हैं साहब

जो इतनी तकलीफों के बाद

भी हिम्मत नहीं हार रहे हैं

कोई मर रहा हैं तो कोई चल रहा हैं 

हर बच्चा अपने माता पिता का हाथ थाम कर


अपने गांव की और बढ रहा हैं

कुछ रोटियां थी अब वो भी खत्म होगी

माता पिता भी खुद की भुख छुपा रहे हैं

और जो बचें थे थोडे से बिस्किट

बच्चों को पानी के साथ खिला रहे हैं


इन नन्हे कदमों को तो यह भी खबर नहीं

कि थक कर वो काहा सो जा रहे हैं

सून कर यह खबर खुद पर भी शर्म आ रही हैं

हम उस देश के वासि हैं जहाँ बड़ी-बड़ी बातें होती हैं  

लेकिन जिन्दगी कीमत बड़ी छोटी होते जा रही हैं।


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