खत
खत
वो भी एक दौर था जब खतों का सिलसिला हुआ करता था
व्हाट्सप्प पर मैसेज और विडियो कॉल की जग
खतों से बधाइयों वाला मौसम हुआ करता था
पढ़ते पढ़ते खत को हम अपने अपनों की आवाज़ सुन लिया करते थे
चाहे वो कितने भी दूर क्यूँ न हो
खत पढ़कर हम उनको अपने साथ महसूस कर लिया करते थे
वो खत का पहला अक्षर बड़ों के लिए प्रणाम का हुआ करता था
साथ साथ छोटो के लिए डेर सारा प्यार भी हुआ करता था
खुशी और दुख का भी शुमार हुआ करता था
वो भी एक दौर था
जब खतों के साथ तार हुआ करता था
तार दिल मे कभी खुशी, तो कभी ग़म दिया करता था
ये वो दौर था जब खतों से पहले तार पहुँचा करता था
आज सोश्ल मीडिया मे हम इतने मसरूफ़ हो गए
वो खतों की प्यार वाली फीलिंग ही हम भूल गए
चलो एक बार फिर से उस एहसास को हम जीते है
साल मे एक बार ही सही हम अपने अपनों को
खत भेज कर बधाइयाँ देते है
जब वो खत “ आदरणीय बड़ी मम्मी, पापा, मौसा, मौसी और
मामा, मामी के नामो के साथ जब शुरू होगा
छोटो को भी इस बात का एहसास होगा
व्हाट्सप्प पर लोट्स ऑफ लव और
मेनि मेनि हॅप्पी रिटर्न्स ऑफ द डे से भी ज्यादा इंपोर्टेंट
ग्रीटिंग कार्ड के साथ भेजा हुआ वो खत वाला मैसेज होगा।