बसंत है आया
बसंत है आया
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फ़ूली सरसों पीले फ़ूल,
फूले-फ़ूल सब अलग-अलग।
खिलीं हुईं हैं चंहु दिशाएँ
पवन झूमीं अब मतवाली।
पेड़ों के पात बिखरे अब,
फैली देखो हरियाली।
अभिनन्दन सारा जगत करे,
ख़ुशहाली ज्ञान भी फैलाये।
बसंत है आया-बसंत है आया ,
बसंत है आया-बसंत है आया!!
