आओ हम लें ये वचन आज सब ऋतु मन में छेड़ें बसंत राग। आओ हम लें ये वचन आज सब ऋतु मन में छेड़ें बसंत राग।
दो पैर, इक दिल, दो आँखें दीं हैं सबको हाँ ! लेकिन दो हाथों से बन जाते महान। दो पैर, इक दिल, दो आँखें दीं हैं सबको हाँ ! लेकिन दो हाथों से बन जाते महान।
गुलमोहर तू यह तो बता सिन्दूरी बन क्यों बसते हो। गुलमोहर तू यह तो बता सिन्दूरी बन क्यों बसते हो।
आओ उनको भी छांटे आओ उनकी जाति बाँटे ! आओ उनको भी छांटे आओ उनकी जाति बाँटे !
बस इतना ही तो चाहता हूं, क्यों तुम मुझे वह देना नहीं चाहते हो? बस इतना ही तो चाहता हूं, क्यों तुम मुझे वह देना नहीं चाहते हो?
जब इन्सानने, दिल के अंदर ही नहीं, हमें बिठाया....!! जब इन्सानने, दिल के अंदर ही नहीं, हमें बिठाया....!!