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Meera Ramnivas

Abstract

3  

Meera Ramnivas

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मां के होने से

मां के होने से

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"माँ के होने से "

घर की दरो दीवारें , 

बिन रंग रोगन भी, रौशन रहती थीं,

चौके चूल्हे में, रौनक लगी रहती थी,

माँ के होने से सब संभव था। 

माँ के हाथों सूखी रोटी चुपड़ी लगती थी, 

गुदड़ी भी मलमल का गद्दा सा लगती थी,

माँ के होने से सब संभव था।  

हाथ थामे धूप में माँ जब निकलती थी,

माँ के साये में धूप भी छांव लगती थी,

माँ के होने से सब संभव था ।

माँ के होते बुरी बलायें दूर रहती थीं,

माँ की दुआएं हमेशा साथ रहती थीं,

माँ के होने से सब संभव था। 

माँ से घर स्वर्ग सा सुंदर लगता था,  

माँ के रुप में धर में भगवान बसता था,

माँ के होने से सब संभव था ।


 



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