Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shashikant Das

Abstract Inspirational

4  

Shashikant Das

Abstract Inspirational

माँ का स्वरूप !

माँ का स्वरूप !

1 min
309


जिनकी कोख में समस्त सृष्टि के संसार है जो समाया,

उनके हृदय की ध्वनि से पहला प्यार है जो पाया,

अपने मुख की हंसी से उजाला है जो तुमने दिखाया,

ओ माँ, कैसे वर्णन करूँ तेरे स्वरूप के मूर्त की काया ?


हर रिश्तों के छोटे बड़े पहलू को अच्छे से है निभाया,

अपने आंचल की पलू से सूरज को भी जो छिपाया,

अच्छे और बुरे की पहचान करना तुमने ही सिखाया,

ओ माँ, कैसे वर्णन करूँ तेरे स्वरूप के मूर्त की काया ?


समय की ग्रीष्म और शीत ऋतु से तुमने ही बचाया,

गिर के कैसे खड़े हों, तुम्हीं ने तो है बताया,

अपने पुण्य के कलश से जीवनभर अमृत जो पिलाया,

ओ माँ, कैसे वर्णन करूँ तेरे स्वरूप के मूर्त की काया ?


दोस्तों, जिनके गोद में सुख भरी नींद है जो पाया,

भूख के तपिश में ढूँढे हमेशा उनके प्रेम की छाया,

हालात के मझधार में उनको ही समीप में हैं पाया,

ओ माँ, कैसे वर्णन करूँ तेरे स्वरूप के मूर्त की काया ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract