मां का जाना
मां का जाना
जग में आई, है एक नयी बीमारी
नाम था जिसका कोरोना महामारी
दिल्ली में भी उसने कहर बरपाया
जिसने मेरा प्यारा, घर भी ढाया
एक दिन हम सब भी ,पड़े बीमार
करता कौन अब हमारी तीमारदार
प्राणी थे घर में कुल गिनती के चार
लुटाती मां हम पर असीम प्यार
मां का सबसे ज्यादा, हाल बुरा था
खांसी, तपता बदन, चढ़ता बुखार,
मेरी मां सब चुपचाप सह रही थी,
मैं ठीक हूं, बस यही कह रही थी
लेकिन बहुत बुरा था, मां का हाल
करता कौने अब हमारी देखभाल
वायरस ने मां को भी था जकड़ा
अब तो उसने भी बिस्तर पकड़ा
उतर न पाया फिर मां का बुखार
पापा की मेहनत भी गयी बेकार
मां जीवन की जंग गई थी हार
हमें अकेला छोड़कर चली गई
अब तो आंखों से आंसू बहते हैं
अकेले हो तुम हमसे यही कहते हैं
तेरे जाने का ग़म कैसे सहन करेंगे
तेरे बिन इस दुनिया में हम न रहेंगे
मां क्यों हमें तड़पता छोड़ दिया
घरौंदा बनने से पहले तोड़ दिया
मां अब तू केवल बस ख्वाबों में है
मेरे जीवन की बची खुची इन सांसों में है।।।