माँ का बेटा आ गया
माँ का बेटा आ गया
रास्ता जाम था
माँ का फ़ोन था
पहुँच गया बेटा ?
ना माँ अभी रास्ते में हूँ !
धरती माँ की ध्वनि गूँज रही है
बुला रही है माँ ,
इंतज़ार में हूँ
तत्पर हो
तैयार भी हूँ ….
रास्ते खुले
क़ाफ़िले चले
ज़िंदगी ले चली थी
मौत की ओर
माँ के लाड़ले को
उसकी शहादत की ओर
माँ से सुबह ही कह दिया था उसने
माँ चल पड़ा हूँ
तेरा ये बेटा चल पड़ा है ..
आऊंगा माँ इस माँ की बारी है
तेरा प्यार पाया
अब इस माटी से प्यार
पाने की तैयारी है
बेटा खाना अच्छे से खाना
बहन की शादी है
जल्दी बेटा तू आना
कुंडा जाते ही तेरे
ख़राब हो गया घर का
६ फ़ुट का तू मेरे लाल
आके उसे ठीक कर जाना
बाप ना है बेटा
बाप का बेटा
फ़र्ज़ तूने है निभाना
आता हूँ माँ …
जल्दी ही आता हूँ ….
फ़ोन बंद ना था …
हुआ जो धमाका सोनिया,
वो कुछ कम ना था..
आवाज़ बंद ना थी
चिथड़े कम ना थे
हाथ था हाथ में
जर्जर हुआ फ़ोन था
वो बेटा ना था
वो तन ना था ……
काले झंडे से लिपट, गाड़ी में सवार
झंडे में लिपटा आ गया बेटा ..
बेटा ,उसका हाथ ,और
हाथ में वो फ़ोन ….
माँ…..
माँ….
कैसे कह दूँ!
कैसे ले लूँ !
भर्ती एक इंच कम की ,
ना लेते तुम ,
शहादत कैसे ले लूँ ?
मेरे बेटे को आधा कैसे ले लूँ?
ये हाथ ,ये जज़्बात ,
ये बेटा,
मेरा बेटा……
फूट फूट रो पड़ी थी ,
पति की शहादत से,
उभरी ना थी,
अब बेटे की …
पगलाइ सी पूरे घर में ,
घूमती भागती ,
बोलती कराहती,
वो बेचारी…
मेरा बेटा आ गया !
मेरा बेटा आ गया!
कहता था जल्दी ही आऊंगा
देखो आ गया ….
मेरा बेटा आ गया