STORYMIRROR

Kavita Sharrma

Abstract

4  

Kavita Sharrma

Abstract

मां -जननी

मां -जननी

1 min
286

मां के होने से घर जन्नत बनता है

मां की गोद में जीवन सुसंस्कृत बनता है


ईश्वर धरती पर मौजूद नहीं हो सकता

इसीलिए उसने मां को धरती पर भेजा


प्रेम स्नेह त्याग करूणा की सरिता है बहाती

कितने सुंदर संस्कारों बच्चों में भरती जाती 


कभी जीजा माता बनकर शिवाजी को गढ़ देती 

कभी यशोदा बनकर कान्हा पर प्यार लुटाती


मां ने ही साहस भरकर भगतसिंह जैसे वीर बनाए

मां तुम्हारी महानता को शब्दों में बंया किया न जाए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract