मां और सिर्फ मां
मां और सिर्फ मां
तू धूप में है आई बनकर परछाई
तूने काट मेरे पैरों के कार्टों पर
अपने प्रेम की चादर बिछाई
तेरे पास होने से दूर है मुझसे
मेरे दुखों की परछाई
कोई और नहीं सिर्फ और सिर्फ मेरी माई
मेरे आंसुओं को मोती बनाया तूने
मेरे दुखों को अपने गले का हार बनाया तूने
मुझे किस्मत की माला और खुद के गले में
दुखों को डाला कोई और नहीं
सिर्फ और सिर्फ मेरी माई
तू मेरे दिल का एहसास ही नहीं
मेरी नींदों का ख्वाब बन गई
तू मेरी पहचान ही नहीं मेरा नाम बन गई
मुझे क्या परवाह है रब की
जब रब से भी प्यारी मुझे मेरी मां मिल गई
मुरझाए दिलों में कलियां खिल गई
क्योंकि कलियों को
मां के आंचल के परछाई मिल गई
अब दुखों की लहर ढल गई
क्योंकि मां के विश्वास की पहर आ गई
अब दुखों की घड़ियां कहां गई
मेरी मां जहां गई वह
घड़ियां ही खुशी का समा बन गई
मुझे मेरी सिर्फ और सिर्फ मां मिल गई
रोशन अंधेरे में मेरे मां का विश्वास हुआ
मेरा रब नहीं मेरी मां का विश्वास ही
मेरे दिल का खास हुआ।