उजाला
उजाला
दीपक लाख जलाएं सत्य है अंधेरे में
रोशन हुआ सारा जहां दुख पर
छाया है काला आसमां
सत्य का उजाला गया कहां
उजाला बस उजाला झूठ सारा जहां।।
खुशियों को पानी को किस मोड़ चला
यह संसार और जहां
दीपक हुए रोशन लाख
सत्यमेव सत्य मिट गए अनगिनत आज
उजाला बस उजाला झूठ सारा जहां ।।
दीपक बिन बाती अधूरी
सत्यवान कठिनाई अधूरी
जीत बिन परामर्श अधूरा
सुख बिना दुख अधूरा
उजाला बस उजाला झूठ सारा जहां ।।
सत्य की कोई जीत नहीं
जीत के लिए परामर्श का मोल नहीं
सुख दुख का संग नहीं
मानवता जीवन का कोई अंग नहीं
उजाला बस उजाला झूठ सारा जहां।।
एकता सत्य के संग नहीं
कठिनाई बिना सत्य की जीत
मानवता प्रेम की प्रीत नहीं
जीत प्रेम की रीत नहीं
उजाला बस उजाला झूठ सारा जहां।।