माधव तेरी लीला न्यारी।
माधव तेरी लीला न्यारी।
माधव तेरी लीला न्यारी।
इत उत ढूंढे तुझे राधा प्यारी।
तुमने ही तो रास रचाया।
सब गोपियों ने तुझे सामने पाया।
रूप बदलकर भोले भी आए।
नजरों से तुम्हारी छुप नहीं पाए।
माधव तेरी लीला न्यारी
इत उत ढूंढे तोहे राधा प्यारी।
बंसी की मधुर तान सुनाई ।
सुध बुध सबने है बिसराई।
जित देखें उधर दिखे कन्हाई।
शरद पूर्णिमा की रात है आई।
आत्मा और जीव का मिलन लखें सब।
गोपियों संग नृत्य कर कन्हाई।
मन में सबके अभिमान जो आया।
कृष्ण को केवल उसने ही पाया।
समझ गए जब यह भाव कन्हाई।
हुए लुप्त तब करी निठुराई।
गोपिया ढूंढे कान्हा कहां है
राधा तो बावरी सी हो आई।
कृष्णमयी सब गोपिया हो गईं।
कृष्ण को ढूंढती कृष्ण सी हो गईं।
लुप्त हुए कृष्ण पुनः प्रकट हुए।
रास रचाते तब कृष्ण मुरारी।
माधव तेरी लीला न्यारी।
