लव यू मम्मा पापा
लव यू मम्मा पापा
मैं आप लोगों से बेइम्तेहा मोहब्बत करती हूँ
दिल की धड़कन आप ही के लिए धड़कती है
आप ना होते तो मेरी वजूद भी नहीं होती
कैसे इज़हार करूँ
लव यू मम्मा पापा।
लफ़्स ही कहाँ है बताने को
दुनिया की सारी खाताओ के पन्ने भी कम पड़ जायेंगे
शब्द नहीं इस प्यार को जताने को
कैसे इज़हार करूँ
लव यू मम्मा पापा।
कितनी मुश्किलें झेले होंगे आप
कितनी शैतानी मेरे सहे होंगे आप
लफ़्ज़ बताने को कहाँ है
शब्द जताने को कहाँ है
लव यू मम्मा पापा।
मेरी मन का चाह है की
सारी खुशियाँ दूँ में आप दोनों को
लेकिन अफ़सोस तो इस बात का हैं
आपने जो कुछ किया हैं
वह खुशी शायद ही में दे पाऊँ
लव यू मम्मा पापा।
प्यार तो मेरे मन में कितना भरा हैं
जो में बता नहीं सकती ,जता नहीं सकती
अफ़सोस तो मुझे इस बात का हैं
यह कविता भी कम है आप के लिए
लव यू मम्मा पापा।