लूट रहे हो फिर
लूट रहे हो फिर
लूट रहे हो फिर क्या सोचते हो
नींद भी लूटी, चैन भी लूटा
धन भी लूटा, जन भी लूटा
मन भी टूटा, तन भी टूटा
टूट रहे हो, फिर क्या सोचते हो !
जब भी बोला, मन भी डोला
जब भी तोला, कुछ ना बोला
अब क्या लूटोगे जब हम सब ना
अब क्या फटोगे जब सब तुम सा
झूठ रहे हो, फिर क्या सोचते हो
लूट रहे हो, फिर क्या सोचते हो !
अब तो सब धुंधला सा है
अब तो सब संभला सा है
जीवन भी देने वाले हो तुम
वापस दे दें ये सोचते हो
फूट रहे हो, फिर क्या सोचते हो
लूट रहे हो, फिर क्या सोचते हो।