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Bhavna Thaker

Abstract Romance

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Bhavna Thaker

Abstract Romance

लुका छिपी

लुका छिपी

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ये साहिल से टकराती मौजों सी 

है तेरी लुका छिपी..!


झलक दिखलाकर गायब हो जाना तेरा 

तुझे ढूँढते हुए उस आयाम तक आना मेरा

जहाँ ठहरी है एक खामोशी..!


सुनाई देता है शोर सिर्फ़ तेरी मेरी साँसों का

आह्लादित से बहके हुए 

खुद ब खुद गुरुत्वाकर्षण की भाँति 

तुम्हारा खिंचे चले आना मेरी ओर,

जैसे चंपा की खुशबू तक नागमणि का आना..!


आहाहा

मेरी प्रीत से तुम्हारी चाहत का सामंजस्य 

है ना कमाल का..!


चरम के उद्गम को पाने एक सुरंग बनाई है

हम दोनों ने अहसास के धागों से 

एक सीरा तुम्हारे हाथों दुसरा मेरे दिल से बंधा..!


हमारे मिलन पर वक्त ठहरता है जहाँ 

लुका छिपी का पूर्णविराम करते।



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