लोग
लोग
चलता जा अपने कर्म पथ पर, लक्ष्य पर रख नज़र।
कुछ तो लोग कहेंगे, पर तू बढ़ना उन्हें अनसुना कर।
सुनना अपने दिल की बात, तानों से मत जाना बिखर।
श्रम की अग्नि में तपकर, जाना श्रेष्ठ कुंदन सा निखर।
मिटा विकार मन का स्वयं ही, मुश्किलों में धैर्य धर।
लाज़मी है राह में काँटे चुभे, बैठ न जाना थक कर।
आहत कर देती लोगों की बातें, उगलते जब वे ज़हर।
नकारात्मकता से दूर रहना, होने न पाए उनका असर।
जगा अपने मन की शक्ति, अपने निश्चय को दृढ़ कर।
विचलित न होना तोहमतों से, अपना हर स्वप्न पूरा कर।