लो फिर याद आ गयी
लो फिर याद आ गयी
वो सावन की फुहार
वो भीगी भीगी रात
फिर से याद आ गयी
तुम से हुई थी
जब पहली मुलाकात।
वो चलना साथ साथ
हाथ में मेरा था तुम्हारा हाथ
कुछ तुम कर रहे थे बात
और सुन रही थी मैं चुप चाप
फिर से याद आ गयी
जब कदम से कदम मिलाकर
चल रही थी मैं तुम्हारे साथ।
वो चाँदनी से नहायी हुई रात
वो नदी का किनारा
हम बैठे थे पास पास
फिर से याद आ गयी
आँखों ही आँखों से
होती थी जब बात।
वो कुछ हसीन पल
बिताए थे हम साथ साथ
सुनहरे ख्वाबों में डूब गये थे हम
वो लम्हें वो हसीन पल
फिर याद आ गयी
जब दिल धड़कते थे एक साथ।

