दोस्ती जो खो गयी
दोस्ती जो खो गयी
वक्त गुजर जाते हैं,
जीवन आगे बढ जाते हैं ,
उम्र के ढलान पर , तन्हाई जब घेरने लगती है,
तब दोस्तों की दोस्ती याद आ जाती है ।
आज इस सुनसान सडक पर चलते चलते,
फिर बारीश के पानी में भीगते हुए ,
वो बचपन की बारीश याद आ जाती है,
वो नाले के पानी में कागज के नाव बहाना ,
दोस्तों के साथ जमकर बारीश में भीगना ,
आज भी वो दोस्त और वो बचपन याद आ जाती है ।
वो थे मेरे प्यारे बचपन के दोस्त ,
हर सुख, दुख में साथ देने वाले साथी ,
सच्चे, प्यारे और ईमानदार थे सब साथी ,
कहाँ मिलते हैं आज ऐसे दोस्तों की दोस्ती ?
आज किसी के पास वक्त ही नहीं ,
कि बैठे किसीके पास घडी दो घडी ,
करे सुख, दुख की बातें या सुने किसी की ,
अब तो वक्त बदला , जमाना बदला,
लोग बदले , सहर बदला , बदली नीयत सभी की,
कहाँ खो गयी वो दोस्तों की दोस्ती ,
जो कभी हुआ करती थी , दीन दुनिया भुला देती थी,
आज इस उम्र के ढलान पर ,
दिल ढूँढे बार बार उन दोस्तों की दोस्ती ,
ना जाने वो दोस्ती कहाँ खो गयी । ।