अश्क
अश्क
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अश्क को छुपाना पड़ता है पलकों में,
एक मुस्कान सजाना पड़ता है होठों पे,
गम छुपाना पड़ता है , दिल के किसी कोने में,
पता नहीं कहीं ये गम, नीलाम ना हो जाए सरे बाजार में ।
हम जानते हैं , तुम्हारे दो शब्द प्यार के ,
पलकों में छिपे अश्क को रोक नहीं पाएंगे,
ये अश्क बाढ़ बन कर आंखों से बह जाएंगे,
पर हमारे होंठ उन बहते हुए अश्क को पी जाएंगे ,
और हम अपने गम हंस कर छुपा लेंगे ।