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Kalyani Nanda

Others

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Kalyani Nanda

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अश्क

अश्क

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अश्क को छुपाना पड़ता है पलकों में,

एक मुस्कान सजाना पड़ता है होठों पे,

गम छुपाना पड़ता है , दिल के किसी कोने में,

पता नहीं कहीं ये गम, नीलाम ना हो जाए सरे बाजार में ।


हम जानते हैं , तुम्हारे दो शब्द प्यार के ,

पलकों में छिपे अश्क को रोक नहीं पाएंगे,

ये अश्क बाढ़ बन कर आंखों से बह जाएंगे,

पर हमारे होंठ उन बहते हुए अश्क को पी जाएंगे ,

और हम अपने गम हंस कर छुपा लेंगे ।


           



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