लम्हों की सौगात
लम्हों की सौगात
लम्हो की सौगात है ये जिंदगी,
पलो मे सिमटी इस सफर की बंदगी
हर क्षण का रूतबा ,एक मुकम्मल तस्वीर हरसू।
एक पल मे जीवन,एक मे मृत्यु।
पलो के बीच मे मुख्तसर सबकी अपनी कहानी है,
खुशी और गमो की तहो मे लिपटी जिन्दगानी है,
कर्मो का कारवां,चल रहा बादस्तूर
नियति बनती जा रही,हर पल के कर्मो की तस्वीर,
एक जीवन मे अनन्त लम्हो का सफर,
हर लम्हा किमती ,हर पल तकदीर से चुराया हुआ कोहिनूर,
जो समझा हर पल का मोल,वही जी पाया है,
इंसान को इंसान बनने का खिताब वक्त ही दे पाया है,
खुद के कर्मो के फलसफे से ही ,वक्त अपना और पराया है
लेकिन तूने ऐ बन्दे!नाइंसाफियो का इल्जाम भी वक्त पर लगाया है।
चलो एक बार कर्मो का करार वक्त के साथ करते है,
लोग जीकर मरते है,हम मरकर जीते है।