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Sheel Nigam

Romance

4  

Sheel Nigam

Romance

लम्हों की बस्ती

लम्हों की बस्ती

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लम्हों की बस्ती


हम यूँ कैद हुये लम्हों की बस्ती में,

जैसे शाम दरख्तों की परछाइयों में.

धीरे-धीरे सूरज ढलने लगा

संध्या सजी वृक्ष पल्लवों में,


रात रानी हुई, महकने लगी,

पूनो का चाँद मुस्कुराने लगा.

चाँदनी का आँचल लहराया,

धरती पर जुगनू जगमगाने लगे.


तारों की महफ़िल आसमान पर

बादल गीत खुशी के गाने लगे.

तुम्हारी याद कैद हुई बाहों में

रात की रानी मुस्कुराने लगी.


महका बदन अनोखी सुगन्ध से

हर तरफ़ तुम नज़र आने लगी.

मेंहदी भरे हाथ,चूड़ियों की खनक,

मन के आँगन को झिलमिला गईं.


आस-दीप जला दिल की कोटर में,

साँकल की बेड़ी खोल तुम आ गईं.

दोनों कैद हुए लम्हों की बस्ती में,

जैसे रात दरख़्तों की परछाइयों में।


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