STORYMIRROR

Anjana Gupta

Abstract

3.4  

Anjana Gupta

Abstract

लम्हें

लम्हें

1 min
178


वो लम्हे

उन लम्हों से जुड़ी कुछ बातें 

आज दोहराती है ये गम की रातें

वो लम्हे

उन लम्हों से जुड़े एहसास

आज मेहक रहे हैं इन हवाओ में...


सच ये है वो लम्हे याद आते हैं

बीत गए तो दोबारा नहीं मिलते हैं

बीते लम्हें एक किस्सा बन जाते है 

इन यादो के वास्ते

बीते लम्हें एक किस्सा बन जाते है 

इन यादो के वास्ते


वो लम्हें की क्या बात करे

जिसमे थी रोशनी 

रात हुई नही

जिसमे थी खुुशियां

गम से मुलाकात नहीं

वो लम्हे के पिंजरे में शोर था

खामोशियों से बाते नही

वो लम्हे के पिंजरे में शोर था

खामोशियों से बाते नही


वो लम्हें में कुछ बात थी

शायद मै भूल नही सकती

उस गुल में मेरी आवाज़ थी

शायद मै फिर

सुन नही सकती

वो लम्हे में थी कुछ उमीदें

शायद मै फिर बुन नही सकती

उन लम्हों में थी मेरी पहचान

शायद वो तस्वीर फिर मिल नही सकती

ना जाने वो लम्हें  कहां गए

अब हमे क्यों मलाल है

ना जाने वो लम्हें  कहां गए

अब हमे क्यों मलाल है


जाने क्यों वो लम्हे 

मेरी जिंदगी से अलविदा ली है

अब कैसे बताऊं उन लम्हों को याद कर

भींगती मेरे आंगन की मिट्टी है

अब कैसे बताऊं उन लम्हों को याद कर

भींगता मेरे आंगन की मिट्टी है  

अब ये लम्हे कैैसे कटे

जिनमे बस उन लम्हों की बाते है

इन लम्हों में तो बस 

उन लम्हों की यादें है

अब वो लम्हें एक किस्सा बन गए है 

इन यादो के वास्ते

अब वो लम्हे एक किस्सा बन गए है 

इन यादो के वास्ते ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract