अनुपम सुबह
अनुपम सुबह
अनुपम सुबह के पट खूले
द्वार द्वार रोशन हुए...
प्रकृति ने जब खोली आंखें
दर्शन दिया सप्तर्थी सूरज ने
अरुणिमा ने ली अंगड़ाई
सिंदूरी आभा युं छाई।
अनुपम सुबह के पट खूले...
आओ करें एक नई शुरुआत लगा प्रभु का ध्यान
नव कुसुम खिले मद्धम मद्धम संगीत हो रहा गुंजायमान।
अनुपम सुबह के पट खूले...
मस्त हवा के झोंकों से
लहराए ताल सरोवर
यह पर्वत श्रृंखलाएं भी
कर रही प्रातःकाल नमन।
अनुपम सुबह के पट खूले...