महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
भोला है भंडारी करते नंदी की सवारी,
जिनको प्यार से कोई पुकारे,
भर देते उनकी झोली सारी,
भांग धतूरा बेल जिनका है अतिप्रिय भोग,
सिर पर जटाएं मुख पर उनके होती मुस्कान है,
गंगा की धारा बहती गले में नाग है लिपटा,
हाथों में त्रिशूल लिए डम डम की डमरु बाजे,
उन त्रिनेत्र धारी उमाशंकर को मेरा है नमन,
हर साल मनाते हर्षोल्लास से उनका पर्व है,
जिस दिन हुआ उनका पार्वती संग विवाह है,
कहते वो रात कहलाती महाशिवरात्रि,
जिस दिन सजा होता गगन अम्बर और आकाश,
झुमते सभी भक्त बजाते बाजे और ढोल,
लाते कावर और शिव का करते महाअभिषेक,
रातभर करते जागरण है शिव को करते प्रसन्न,
मनोकामना होती सारी पूर्ण,
क्योंकि शिव है बड़े भक्तवत्सल और दयालु,
नाम जो उनका प्यार से पुकारे,
कर देते उनकी इच्छापूर्ण सारी,
न जात न पात न कुल न परिवार,
भस्म रमाते गणों संग उत्सव मनाते,
वो तो साक्षात परब्रह्म परमात्मा है,
जगहरता जगकर्ता जगपालनकरता है,
आदि भी वही अंत भी वही,
वो तो साक्षात निर्विकार अनादि कालो के काल,
अर्द्धनारीश्वर उमाशंकर महादेव देवो के देव है।