लम्हे जिंदगी के
लम्हे जिंदगी के
पीठ पर टंगी एक थैली थी और
थैली के अंदर कलम, रबड़ एक टॉफी थीं!
चप्पल कि एड़ी फटी थी
क्या कहूं इस लम्हे को ये कितनी हसीन थीं।
याद करूँ या फरियाद करूँ तू
कितनी हसीन थीं
रोज खाने को दो डिब्बे और पानी की बोतल थीं
दोस्तों की टोली और यारों की बोतल थी।
हर पल याद करता हूं पर
पता नहीं रोऊँ या हंसूं, मैं
क्योंकि तू कितनी हसीन थीं
याद करूँ तो रोते रोते हंसूं में
पूरी अब तक की जिंदगी में
सिर्फ तू ही हसीन थीं
जहां इस खुद गर्ज लोगों की कमी थीं
मेरे खुशी के लम्हे सिर्फ तुझसे ही जुड़े हैं
बाकी सब तो मोह माया हैं सिर्फ मोह माया है।