मैं हार चुकी थी!
मैं हार चुकी थी!
जब मेरे अपनों ने मेरा साथ छोड़ा।,
हां, तब मैं हारी थी!
जब मेरे अपनों ने मेरा साथ छोड़ा,
तब ये दुनिया मुझ पर भारी थी!
कहूं तो क्या कहूं! इस जमाने से,
बड़ी खुद गर्ज है तू।।
तुझे समझने के चक्कर में।
की तुझे समझने के चक्कर में
मैं खुद उलझ चुकी थी,!
हां मैं हार चुकी थी
कहने को तो सब मेरे साथ थे
मुझे पता चला की खंंजर लिए हर हाथ थे।।
सब ने कहा कि तुम तुम नहीं हम हैं
सब ने कहा कि तुम तुम नहीं हम हैं
पर कोई नहीं जानता इस दिल में कितना गम है
बस इस जमाने , ने
ऐसे ही कहा था हमसे कि
तुम तुम नहीं हम हैं
छोड़ो इस जमाने को कि
इसके चक्का में मैं उलझ चुकी थी
हां मैं हार चुकी थी।
