लक्ष्य
लक्ष्य
लक्ष्य मेरा अटल हैं
अग्निपथ पर अविचलित
अविरल,
पथिक बढ़ते जाना हैं,
फिर हार की औक़ात क्या ?
मुझे तोड़ सके,
हौसलों की उड़ान
मेरी ऊँची हैं
दुनिया सोचें चाँद का
मुझे चाँद के आसमा
से परे जाना हैं।
फिर ये
आसमाँ भी मेरा हैं
ये जमीं भी मेरी हैं।
लक्ष्य मेरा अटल हैं...
पथिक बढ़ते जाना हैं...