STORYMIRROR

Natawar Singh Dewal

Abstract

3  

Natawar Singh Dewal

Abstract

मोहब्बत

मोहब्बत

1 min
225

मेरे ख़्वाबों की परी की जवानी थी तुम,

हीर-रांझा के पाक प्रेम की कहानी थी तुम,

मोहब्बत के पैग़ाम की निशानी थी तुम

अपने आप में सबूत तूम ही थी कुदरत के नूर का,

वैसे तो दुनिया के दस्तूर से कोई वास्ता नहीं था मेरा,

लेकिन पहली नज़र के प्यार की गुस्ताखी थी तुम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract