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Natawar Singh Dewal

Tragedy

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Natawar Singh Dewal

Tragedy

दिल

दिल

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दिल में दरख़्त कटते जा रहे,

छाया मोहब्बत की मिले कहाँ ऐसे अब्र होंगे ।


एहसासों को कुचलते जा रहे,

नूर-ए-जहाँ में हुस्नवाले अब कहाँ वे बे-सब्र होंगे ।


खारे पानी के दरियाँ बहते जा रहे,

आँखों के अश्कों के भी अब कहाँ कब्र होंगे ।


रुखसत के दर्द तुम्हारे सहते रहे,

मिलेंगी अब ख़ुशी अब कहाँ इतने ज़ब्र होंगे ।।


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