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Arti Kumari

Tragedy

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Arti Kumari

Tragedy

मैं सोई नहीं कई रातों से

मैं सोई नहीं कई रातों से

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मैं सोई नहीं कई रातों से

कुछ सपने मुझे जगाते हैं

कुछ शूल चुभे हैं दिल में ऐसे

जो पथ पर मुझे चलाते हैं

दिल आहिस्ता से रोता है

पर मन का धीर न खोता है

कुछ कहते मुझको सनकी हैं

कुछ कहते हैं पगलाई है

कुछ ज्ञान बांटते हैं मुझको

अरे! इन सपनों के चक्कर में

क्यूं तूने अपनी जान फंसाई है?

तुम हंस लो जितना हंसना है

ताना कस लो जितना कसना है

मुझे नींद अभी ऐसे नहीं आएगी

जब तक हर ज़िद पूरी न हो जाएगी

माना इन सपनों ने मेरी नींद चुराई है

पर इन्हीं सपनों ने ही तो मुझको

जीने की नई राह दिखाई है

जीने की नई राह दिखाई है!


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