मैं सोई नहीं कई रातों से
मैं सोई नहीं कई रातों से
1 min
248
मैं सोई नहीं कई रातों से
कुछ सपने मुझे जगाते हैं
कुछ शूल चुभे हैं दिल में ऐसे
जो पथ पर मुझे चलाते हैं
दिल आहिस्ता से रोता है
पर मन का धीर न खोता है
कुछ कहते मुझको सनकी हैं
कुछ कहते हैं पगलाई है
कुछ ज्ञान बांटते हैं मुझको
अरे! इन सपनों के चक्कर में
क्यूं तूने अपनी जान फंसाई है?
तुम हंस लो जितना हंसना है
ताना कस लो जितना कसना है
मुझे नींद अभी ऐसे नहीं आएगी
जब तक हर ज़िद पूरी न हो जाएगी
माना इन सपनों ने मेरी नींद चुराई है
पर इन्हीं सपनों ने ही तो मुझको
जीने की नई राह दिखाई है
जीने की नई राह दिखाई है!