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Pradeep Sahare

Tragedy

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Pradeep Sahare

Tragedy

गरीबी

गरीबी

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गरीबी क्या है ?

बातों से ना जाने ।

उसके निशान हैं,

कुछ जाने पहचाने ।

आधी झुकी छत,

टूटे हुए कवेलु ।

आधा लिपा चूल्हा,

खूँटी पर लटका,

खाली थैला ।

उस पर फटा हुआ,

एक कमीज मैला ।

टूटी हुई खटिया ,

उसमें सुकड़ा हुआ,

बीमार बाप ।

ना जाने क्या ?

निहारती निस्तेज आँखें ।

टिमटिमाता दिया,

जो दिखाता,

अंधेरे में प्रकाश ।

बस यही दिखाता,

जीने की आस ।


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