...इल्ज़ाम तुम्हारे सर होगा
...इल्ज़ाम तुम्हारे सर होगा
मुझको दीवाना करने का
इल्ज़ाम तुम्हारे सर होगा ।
मैं दफ़्तर में कुछ काम करूँ,
सोऊँ थोड़ा, आराम करूँ ,
सारी हसरतें छोड़कर,
सुबह-ओ-शाम तुझको ही बस याद करूँ ।
हर वक़्त तुम्हारी बेनज़ीर सूरत,
नैनों में बसी रहती हैं,
तुझमें ही डूबा रहूँ सदा,
दिल की ख़्वाहिश यें कहतीं हैं ।
कुछ दूर रहो वर्ना आशिक़
बदनाम तुम्हारे घर होगा,
मुझको दीवाना करने का
इल्ज़ाम तुम्हारे सर होगा ।
यादें तेरी इस दिलपर,
इस तरह छा जाती हैं,
कुछ नहीं याद और रहता मुझे,
सब कुछ भुला कर जाती हैं ।
मुस्कान तुम्हारी क़ातिल है
नागिन ज़ुल्फ़ें लहरातीं हैं,
बस एक झलक ही काफ़ी है
दीवाना मुझे बना कर जाती हैं ।
यदि मैं आपा खो बैठूँ फिर
अंजाम तुम्हारे सर होगा,
मुझको दीवाना करने का
इल्ज़ाम तुम्हारे सर होगा ।