लक
लक
हाथों की चंद लकीरों में
या फिर....,
मस्तक की सलवटों में
लिखा हुआ होता है,
हम सबका भाग्य
जिसका हम स्पष्ट
दर्शन नहीं कर सकते,
ना ही कर सकते कोई आकलन
यह मात्र मानवोक्ति नहीं,
बल्कि अनुभवित
और प्रमाणित सत्य है
जिसके अधीन....
सम्पूर्ण जगत है.
जिसके निर्देशन में हम
सोते और जागते हैं.
जिसके निर्देशन में ही हम
दैनिक और जीवनिक
लोकिक, परलोकिक
कर्म करते हैं.
जिसके निर्देशन में हम अपना,
उत्थान और पतन करते हैं
जिसके निर्देशन में हम
जीते और मरते हैं,
और जो शास्त्रोक्त है
वो किस्मत है, तकदीर है
भाग्य है, प्रारब्ध है
वो लक है.....!