लहरतारा कमल खिला
लहरतारा कमल खिला
चौदह सौ पचपन कहें,जेठ शुक्ल की रात
लहरतारा कमल खिला, खूब हुई बरसात
खूब हुई बरसात, ज्ञान की आंधी आई
उडे झूठ पाखंड, धर्म की हटी बुराई
धन्य हुए सब लोग, सजे आंखों में स्वप्न
प्रकटे दास कबीर, कहें चौदह सौ पचपन।
