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लेखक को लिखने से
रोक सका कब कौन ।।
शामत ही आई होगी
उसकी उससे भिड़ेगा जौन ।।
भाव जब बहने लगते हैं
जल जैसे निर्मल होते हैं ।।
पढ़ते पढ़ते , पढ़ने वाले के
अन्तस् को पी लेते हैं।।
तुम बात करो या
लिख डालो कागज पर
लेकिन एहसास उकेरो तो ।।
पाठक तो पाठक है
उसने तो तुमसे हमसे
शायद , हजारों ही झेले हों ।।