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संजय कुमार

Romance

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संजय कुमार

Romance

ले चल हमें बहार में

ले चल हमें बहार में

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चल ले चल हमें बहार में उस

जहां प्यार के रंग सदा खिलते हों

जहां आता जाता कोई न हों 

जहां प्यार वाले ही मिलते हों 

इस जलती दुनियां से दूर रहें

कोई ऐसी जगह तु मुझे बता 

दुनियां वीरान न चाहूं मैं

तु अपने बाहोंं में मुझे बिठा

दूर दूर तक भटक रही मैं

वैसा स्थान न कहीं मिला

जैसा स्वर्ग मैं चाहती थी

स्वर्ग वैसा तेरे बाहोंं में मिला

चल ले चल हमें बहार में उस

जहां प्यार के रंग सदा खिलते हों!


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