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Bhavna Thaker

Romance

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Bhavna Thaker

Romance

लब है खामोश

लब है खामोश

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नैंन बरसे नेह लब है खामोश 

लो चुभते कंगन की आह से लिपटे एहसास को मुक्त किया.!

 

दो सौंधे सौंधे से जिस्म की करवटों से सजी रात का नज़ाकत भरा आलम.! 


लबों की मद्धम बहती सरगोशियों में ज़ाफ़रानी साँसें उलझ गई थीं.!


ऊँगली के छल्ले का क्या दोष 

ये मतवाले मिलन की अदा कर गई कुछ शैतानियत.!


ऊँगलियों की गिरह हल्की हो तो चेहरा उपर उठे.!

 

इशशश...


देखो ना रात रुकी हुई है

हया का चिलमन हटा लूँ तो पहर आगे बढ़े।।


उर में खिलखिलाते अरमानों की कसम दिल चाहता है इस रात की कभी सुबह ना हो,,,,,,



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