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Bhawna Kukreti

Abstract Tragedy Fantasy

4.5  

Bhawna Kukreti

Abstract Tragedy Fantasy

क्यों होता है ऐसा ?

क्यों होता है ऐसा ?

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मेरे हिस्से ही क्यों आते हैं टूटे हुए दिल

मेरे जिम्मे ही क्यों क्यों होता है उनको जोड़ना।


क्यों मेरे पास कोई दर्द चला आता है खींचा हुआ

क्यों मेरे पासवह ठहर भी जाता है।

क्यों मेरा ही सब्र तोला जाता है 

क्यों सबके लिए मेरा ही अब्र घोला जाता है


क्यों होना होता है मेरा किसी के लिए होना

क्यों नहीं होता किसी का मेरे लिए होना

क्यों? क्यों होता है ऐसा?


सबकी तरह मेरे पास भी जन्म से ही

होती है तमाम आशाएं,सपने और कुछ पाने की ख्वाहिशें

लेकिन क्यों मुझे ही सींचा जाता है

त्याग,समर्पण और पोषक बंनने की बातों से।


मैं बस दो बातें कहना चाहती हूँ

उबलते रिश्तों के लिए ठंडे पानी का कुंआं नहीं हूँ 

ना ही किसी भटकन के लिए कोई नखलिस्तान हूँ

मैं सिर्फ एक औरत हूँ 

और अगर वो भी न समझ सको तो 

तुम्हारी ही तरह मैं भी 

एक इंसान हूँ।


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