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दीपाली तांँती

Romance Tragedy Fantasy

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दीपाली तांँती

Romance Tragedy Fantasy

क्यों छुपी हूँ मैं ?

क्यों छुपी हूँ मैं ?

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तुम ढूंढो न मुझे, क्योंकि छुपी हूँ मैं।


हाँ !
कहती हूँ प्यार नहीं तुमसे,
क्योंकि झूठी हूँ मैं।

तुम तो आगे बढ़ गए हो,
पर अब भी वहीं रुकी हूँ मैं।

बात करने की फुरसत नहीं तुम्हे,
इस बात से दुखी हूँ मैं।

नजरअंदाज किया तुमने मुझे,
बस इसलिए तुमसे रूठी हूँ मैं।


पता है। 
तुम मना लोगे मुझे,
क्योंकि तुम्हें प्यारी हूँ मैं।

औरों के नज़र में न सही,
तुम्हारे नज़र में सबसे अच्छी हूँ मैं।


पर ...!
आसानी से मानूंगी नहीं,
क्योंकि थोड़ी हठी हूँ मैं।

इसलिए तुम बार-बार मुझे मनाना,
इसलिए...
तुम!
बार-बार मुझे मनाना,
क्योंकि मन से बच्ची हूँ मैं।


यह सब तुम्हे कह नहीं सकती,
इसलिए चुप ही हूँ मैं।
कहीं खो न दूं तुम्हे,
इसलिए डरती हूँ मैं।

तुम्हे पता भी है !
कि तुम बिन,
कैसी हूँ मैं ?

तुम्हे फर्क पड़ता है या नहीं,
इसी उलझन में उलझी हूँ मैं।


क्या...
तुम ढूंढ़ोगे मुझे ?
क्योंकि छुपी हूँ मैं !


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