कर्ण पिशाचिनी
कर्ण पिशाचिनी
एक बार जो खुश हो जाऊं।
दुनिया अपनी छोड़ कर आऊं।
हर बार तुमको मैं बचाऊं।
तेरे लिए खुशियां ले लाऊं।
कानों के ही पास मैं रहती
कामयाबी का मंत्र हूंँ कहती।
साथ कभी न छोडूंगी।
हरदम पीछे दौडूंगी।
जबरन जो तुमने साथ छुड़ाया।
समझो अपना काल बुलाया।
तेरे इस गलती की मैं,
माफी तुझे कभी न दूंगी।
जाने के मैं रास्ते अपने,
रक्त से तेरे सीचूंगी।
धीरे-धीरे करके मैं,
प्राण तेरे खींचूंगी।
अपनी दुनिया में अकेले,
मैं न वापस जाऊंगी।
साथ अपने मैं तेरे,
प्राण भी ले जाऊंगी।
