क्या यही मोहब्बत है
क्या यही मोहब्बत है
कोई तो ऐसी डोर है
तुम्हें मेरी ओर खेंचती है
ना जाने क्यों कैसे ये होता है
जब तुम से सामना हो जाता है
क्या यही मोहब्बत है!?...
तुम मेरी मंज़िल नहीं हो यूँ
ख़ुद को बहोत समझाती हूॅं
फिर भी रास्ता उधर ही मुड़ जाता है
इस कदर ख़ुद से अंजान हो जाती हूॅं
क्या यही मोहब्बत है!?...
दुनियां की नजरों से बचके रहती हूॅं
कहीं कुछ बया न कर दे ये मेरी जुबा
दिल ही दिल में आह भरते रहती हूॅं पर
इसे तो रहना है तुम्हारे ही एहसास में डूबा
क्या यही मोहब्बत है!?...
मुझको तो ये मालूम है
तुम्हारे मेरे बीच है फासला बड़ा लंबा
मगर दिल ये नादान यकीं दिलाते रहता है
तुम्हारे अलावा दूजी नहीं है कोई मर्ज की दवा
क्या यही मोहब्बत है?