क्या तुम्हें याद है?
क्या तुम्हें याद है?
वो सजधज कर आना
चुपके से मेरे पीछे से
मेरे आँखों पर,अपनी
मखमली हांथों से स्पर्श
करके मुस्कुराना ...
क्या तुम्हें याद है ?
वो बागों में बैठकर गुनगुनाना
हौले-हौले मेरे सिर को
अपनी मखमली हाथों से
प्यार उड़ेल कर सहलाना...
क्या तुम्हें याद है ?
वो चुपके से घण्टो तक
अपनी मीठी-मीठी बातों
से मेरे दिल को सुकूँ देकर
हँसकर बतलाना...
क्या तुम्हें याद है ?
वो मेरे नाम की
अपनी मखमली हाथों
में वो हरी-हरी मेहँदी
का रचाना, छिप कर आईने
में देख खुद से ही शर्माना...
क्या तुम्हें याद है ?