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Brijlala Rohan

Tragedy Classics Inspirational

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Brijlala Rohan

Tragedy Classics Inspirational

क्या पर्यावरण प्रति सजग हैं

क्या पर्यावरण प्रति सजग हैं

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क्या हम पर्यावरण के प्रति सजग हैं ?

यदि हाँ तो दिन-प्रतिदिन क्यों प्रदूषण की समस्या बढ़ती ही जा रही है ?

क्यों हवा धुंध और जहरीली गैस बन गई है !

क्यों अमृत तुल्य जल को हमने हलाहल का प्याला बना दिया !


हमने  खेतों को कारखानों, खानों खदानों का धर्मशाला बना दिया ?

आखिर क्यों हम पर्यावरण के प्रति निष्क्रिय होते जा रहे हैं ?

क्या हम पर्यावरण के प्रति सजग हैं ? यदि नहीं तो आखिर कब होंगे !

सब कुछ समाप्त हो जाएगा तब नहीं तो कब ? कब ? कब ?


कब हम अपनी धरा पर, ध्यान देंगे, उसका सम्मान करेंगें।

कब तक हम अपनी गलतियों को छुपाते रहेंगे !

जो बित गई सो बात गई। लेकिन अब हमें गलतियों को दुहराना नहीं !

बल्कि पर्यावरण के लिए कुछ कर जाना है !


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