क्या फर्क पड़ता हे सनम
क्या फर्क पड़ता हे सनम
जब तू नहीँ इस जिंदगी मे सनम,
सपना देखना तो हो गया कम,
अब खुशी रहै या रहै गम
क्या फर्क पड़ता है सनम l
जब तुम नहीँ इस जिंदगी में सनम....
तुम्हारे चले जाने के बाद,
थम गई बरसात, बढ गया तूफान,
हुए हम बरबाद या रहे आबाद
क्या फर्क पड़ता है सनम l
जब तुम नहीँ इस जिंदगी में सनम....
चाँद का फलक मे बैठ के खिल खिलना,
फूलों का हवा की लहर मे झूमना,
मुझे आज रुलाए या हँसाए
क्या फर्क पड़ता है सनम l
जब तुम नहीँ इस जिंदेगी में सनम....
मेरे दिल में आग लगी है
बुझा सके तो बुझा दीजिए
मजाक उसे ना समझिए
ना हंसी में उड़ा दीजिए
कभी तो सपनों में भी आ जाया कीजिए l
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