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Shanti Mishra

Abstract

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Shanti Mishra

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इतना सा निवेदन

इतना सा निवेदन

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ये जग में सब ने मेरी

मजाक उड़ाके राखदिया

कम से कम तू ना उड़ाया कर

ओ मेरे मालिक मेरे भगवान।


जग बालों ने छीना मेरी

खाब और खुसियाँ

कम से कम तू तो ना छीना कर

ओ मेरे मालिक मेरे ओ भगवान।


हंसी तो उड़ाया मुझ पे

तेरे जग कि लोगोने

कम से कम तू तो ना हंसा कर मुझपे

मेरे मालिक ओ मेरे भगवान।


दुश्मन बन बैठे ए जग के लोग

सब का दिल रखते रखते थक गए हे हम

कम से कम तू तो ना थकाया कर हमे

मेरे ओ मालिक ओ मेरे भगवान।


खामोशी से जलता रहे ये दिल

आँसू ओं से ना बुझता ही ये आग

बुझा सके तो बुझा दे, ओर जलाया ना कर

ओ मेरे मलिक ओ मेरे भगवान।


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