नसीब का मजाक
नसीब का मजाक
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नसीब का मजाक क्या बताएं दोस्त
हर रोज हँसती रहती है देख के हमे l
कितना खुश है सता सता कर ये जताती है,
दांत दबा दबा कर मुस्कुराती रहती है l
उसकी मनमानी जलाती तो जरूर,
बताती नहीँ भी क्या किया था कसूर l
जो सजा पे सजा देता जा रहा है,
होठों पे हंसी आने से पहले भर देती हैं आँखों में पानी
कहना तो दिल बहुत चाहता है उसे,
ये सोचकर खामोश हो जाता है लेकिन
यहां हमेशा कहाँ रहना है हमे,
कुछ दिनो के मेहमान हैं, ठहर के चले जाना है, दोस्त l
